Not known Facts About hanuman chalisa
Not known Facts About hanuman chalisa
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अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
व्याख्या – मनुष्य के जीवन में प्रतिदिन–रात्रि में चारों युग आते–जाते रहते हैं। इसकी अनुभूति श्री हनुमान जी के द्वारा ही होती है। अथवा जागृति, स्वप्न, सुषुप्ति एवं तुरीय चारों अवस्थाओं में भी आप ही द्रष्टारूप से सदैव उपस्थित रहते हैं।
व्याख्या – श्री हनुमान जी को जन्म से ही आठों सिद्धियाँ प्राप्त थीं। वे जितना ऊँचा चाहें उड़ सकते थे, जितना छोटा या बड़ा शरीर बनाना चाहें बना सकते थे तथा मनुष्य रूप अथवा वानर रूप धारण करने की उनमें क्षमता थी।
मंगलवार, शनिवार के अलावा हनुमान जयंती, राम नवमी और नवरात्रे जैसे शुभ अवसरों पर भी आप हनुमान जी को समर्पित यह सभी पाठ कर सकते है। हनुमान चालीसा लिरिक्स को महान संत गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है।
भावार्थ – भूत–पिशाच आदि आपका ‘महावीर’ नाम सुनते ही (नामोच्चारण करने वाले के) समीप नहीं आते हैं।
दिल्ली के प्रसिद्ध हनुमान बालाजी मंदिर
व्याख्या – श्री हनुमान जी कपिरूप में साक्षात् शिव के अवतार हैं, इसलिये यहाँ इन्हें कपीश कहा गया।
To make you realize Each and every line in the Hanuman Chalisa, we hold the indicating of each and every stanza of your Hanuman Chalisa introduced in the table underneath.
NāsaiNāsaiEnd / wipe out / cured rogaRogaDisease haraiHaraiEnd / close / taken off sabaSabaAll pīrāPīrāPains / ailments / afflictions / struggling
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व्याख्या – श्री शंकर जी के साक्षी होने का तात्पर्य यह है कि भगवान श्री सदाशिव की प्रेरणा से ही श्री तुलसीदास जी ने श्री हनुमान चालीसा की रचना की। अतः इसे भगवान शंकर का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त है। इसलिये यह श्री हनुमान जी की सिद्ध स्तुति है।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥ अन्त काल रघुबर पुर जाई ।
व्याख्या – श्री हनुमान चालीसा में श्री हनुमान जी की स्तुति करने के बाद इस चौपाई में श्री तुलसीदास जी ने उनसे अन्तिम वरदान माँग लिया है कि हे हनुमान जी! आप मेरे हृदय में सदैव निवास करें।